ले जा तू कहीं मेरे साथिया
कोई ख्वाहिश नहीं तुझको जो पा लिया
चल चले अब ये कदम
लगे ना डर सनम
जन्नत के काफ़िले संग तेरे ले चलूँ
आ ले जा कहीं मेरे साथिया
हो..
ये क्या हो रहा है
दिल जो तू छू गया है
तेरे एहसास का मुकम्मल ये जहां मिल गया
पलकें बंध कर लूं
तो देखूं बस तुझिको
आँखों को तेरी ख्वाबों का आशियाँ मिल गया
खो जाए ना, उड़ जाए ना
ये पल अब हसीं
आ ले जा कहीं मेरे साथिया
साँसों पे लिखा है
तू जीने की वजह है
चाहूँ बेतहाशा टूटकर मैं तो तुझे
तेरी रहगुज़र में
मैं कब से हूँ सफ़र में
जाके ठहरना है अब तो मंजिल पे मुझे
तू है जहां मैं हूँ वहाँ
क्या आसमां ज़मीन
आ ले जा कहीं मेरे साथिया
वो हो…
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