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"कु छ आइसा थमा!
रोज़ रोज़ मिलन लागे
और कहे लागे, दिल की बात
तुझको न शरम ते मुजसे
ना हाय कोइ एतराज
हम नसीब से
मिलें लागे .. हर बर ।।
तुम ले के चले
कभी हमारे लिए…
12 बाजे, 12 बाजे
हम घर से
सुभ हो कर के, निकले ।।
12 बाजे, 12 बाजे
घर से निकले
हम सुभ हो कर के…
किस तराह ऐतबार करे दूनिया पे
चोर है बाजों में
हां ये खामोशी जल्दबाजी में
हमरे बीच मे
अभि भी तो है
मेरी शमां में
सुबाहो की रोजी
तेरा नशा बदहाने लागा
बधता गया ओ हो
मेरी रटन मे
12 बाजे, 12 बाजे
हम घर से
सुभ हो कर के निकले
12 बाजे, 12 बाजे
घर से निकले
हम सब हो कर के ।।
धुत हो के इतना जिंदगी में
जइसे प्यार के नासे में
कइसे बातिन करे लागे
बेवजह हम जल्द उठे
साड़ी रात, सारा दिन
कुच ना पाटा छला
काहा गया वो वक़्त
जल्दबाजी में, गिर्ते राहे
मार्टे राहे, ओवो .. हो, हो, ओहो ।।
12 बाजे, 12 बाजे
तेरे घर से
सुभ हो कर के निकले
12 बाजे, 12 बाजे
घर से निकले
हम सब हो कर के ।।
अरे… ओहो .. बराह बाजे!"
Vanita Voyles
24/01/2023 at 5:40 PM
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